1. न्यास के उद्देश्यों के अनुरूप अपनी व समाज की उन्नति करना ।
2. एतदर्थ न्यास से सहयोग लेना व देना ।
3. वर्ष में एक बार होने वाले सामूहिक सम्मेलनों में भाग ले सकना । इन सम्मेलनों में परस्पर परिचय, सामूहिक उपासना व विभिन्न आध्यात्मिक - दार्शनिक - सैद्धान्तिक विषयों पर वार्ता-परिचर्चा-शंका समाधान आदि होंगे ।
2. एतदर्थ न्यास से सहयोग लेना व देना ।
3. वर्ष में एक बार होने वाले सामूहिक सम्मेलनों में भाग ले सकना । इन सम्मेलनों में परस्पर परिचय, सामूहिक उपासना व विभिन्न आध्यात्मिक - दार्शनिक - सैद्धान्तिक विषयों पर वार्ता-परिचर्चा-शंका समाधान आदि होंगे ।