Itinerary 2014

।। ओ3म् ।।
वार्षिक स्नेह सम्मेलन एवं संगोष्ठी (द्वितीय) 8-9 फरवरी 2014
स्थान. वानप्रस्थ साधक आश्रम, आर्यवन, रोजड़, गुजरात

संक्षिप्त कार्यक्रम
05.30 - 06.30 उपासना-सामूहिक-मौन
07.00 - 08.15 यज्ञ, भजन, प्रवचन
07.00 - 08.15 प्रातराश
08.30 - 11.30 सत्र
11.45 - 12.15 भोजन
02.00 - 04.00 सत्र
05.30 - 06.30 उपासना - सामूहिक - मौन
06.40 - 07.15 भोजन
07.30 - 07.45 भ्रमण - श्लोक गायन
08.00 - 08.30 सत्र

 

सत्रों के विषय

दिनांक 8 फरवरी, शुक्रवार
प्रथम सत्र -
(09.30-11.30)
उद्घाटन, पूज्य स्वामी सत्यपति जी का उद्बोधन, गत स्नेह सम्मेलन का सार संक्षेप, नये सदस्यों का परिचय (नाम, स्थान, शैक्षणिक योग्यता, कार्य, रुचि आदि)।
द्वितीय सत्र -
(02.00-04.00)
सृष्टि संवत्। आर्यसमाज में दो सृष्टिसंवत् चल रहे हैं। दोनों के अपने-अपने तर्क, युक्तियाँ, प्रमाण हैं। उनकी प्रस्तुति व विवेचना। दोनों में से कौन सा उचित है व क्यों ?
तृतीय सत्र -
(08.00-09.30)
कोई नया विचार, कार्य व कार्यशैली, निष्कर्ष आदि की प्रस्तुति। इन प्रस्तुतियों पर अन्यों की जिज्ञासा व सम्मतियाँ।
दिनांक 8 फरवरी, शनिवार
चतुर्थ सत्र -
(09.30-11.30)
आत्मा साकार है या निराकार ? महर्षि ने आत्मा को अणुस्वरूप एकदेशी स्वीकार किया है। किन्तु आत्मा साकार है या निराकार इस विषय में महर्षि के ग्रन्थों या अन्य आप्त ग्रन्थों में क्या कहा है ? इसे साकार मानने वालों का कहना है कि अणु-एकदेषी द्रव्य का कोई न कोई आकार तो अवश्य होना चाहिए, यदि आकार है तो आत्मा को साकार मानना चाहिए। आत्मा को निराकार मानने वालों का कहना है कि यदि आत्मा को साकार माना जायेगा तो उसे रूप-गुण वाला भी मानना पड़ेगा, जबकि आत्मा में रूप-गुण नहीं होता। -साकार-निराकार शब्दों का ठीक अर्थ क्या है ?
पंचम सत्र -
(02.00-04.00)
मोक्ष में जाने से पूर्व कर्माश्य की समाप्ति हो जाती है या नहीं ? मुक्ति में जाने से पूर्व संस्कार दग्धबीज हो जाते हैं। क्या इसी प्रकार कर्माषय भी समाप्त हो जाता है ? स्वपक्ष की पुष्टि व परपक्ष के संभावित दोष की प्रमाण-तर्क सहित प्रस्तुति।
षष्ठ सत्र -
(08.00-09.30)
कोई जिज्ञासा / प्रश्न, सैद्धान्तिक अस्पष्टता। जिसका समाधान अपेक्षित हो । योगाभ्यास में आने वाली / आ रही कोई समस्या। कोई वैदिक सिद्धान्त जिसे शिक्षितों के सामने रख पाने समझा पाने में समस्या आ रही तो। उनका विशेषज्ञों या अन्य सदस्यों द्वारा समाधान।
दिनांक 9 फरवरी, रविवार
सप्तम सत्र -
(09.30-11.30)
बैक्टिरिया (जीवाणु) - वायरस (विषाणु) आदि सजीव हैं या निर्जीव, ये भोगायतन (भोग शरीर) हैं या नहीं ? यदि ये जीव हैं तो इनके संक्रमण से उत्पन्न रोगों के लिए ली गई औषधियों द्वारा इनको मारने से पाप लगता हैं या नहीं ?
अष्टम सत्र -
(02.00-04.00)
02.00-03.00 पूर्व सत्रों का कोई अवशिष्ट विषय
03.00-04.00 समापन-आगामी योजना, अनुभव, सम्मति (सुझाव) सहयोग की अपेक्षा, सहयोग का प्रस्ताव, स्वामी सत्यपति जी व अध्यक्ष जी का उद्बोधन, धन्यवाद, शान्तिगीत व शान्तिपाठ।
अष्टम सत्र -
(02.00-04.00)
02.00-03.00 पूर्व सत्रों का कोई अवशिष्ट विषय
03.00-04.00 समापन-आगामी योजना, अनुभव, सम्मति (सुझाव) सहयोग की अपेक्षा, सहयोग का प्रस्ताव, स्वामी सात्यपति जी व अध्यक्ष जी का उद्बोधन, धन्यवाद, शान्तिगीत व शान्तिपाठ।
आपकी सहभागिता सादर आमन्त्रित है।

वानप्रस्थ साधक आश्रम
आर्यवन, रोजड़, पो.सागपुर, जि.साबरकांठा, गुजरात-383307
ईमेल: This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it.,
संपर्क-09687941778 - आचार्य सत्यजित् (समय सायं 4 से 5 बजे तक)


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मुख्य कार्यालय:
वानप्रस्थ साधक आश्रम,
आर्यवन, रोजड़, पत्रा.-सागपुर,
त.-तलोद, साबरकांठा, गुजरात-383307. दूरभाष - 95028 63490, 8290896378.

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