न्यास के सदस्य दो प्रकार से हो सकते हैं -
- 1. आध्यात्मिक सदस्य
- 2. सहयोगी सदस्य
1. आध्यात्मिक सदस्य
- स्वामी सत्यापति जी महाराज की परंपरा में रहते हुए
- क) स्वामी जी के शिष्य प्रशिष्यों से न्यूनतम दो दर्शनों का अध्ययन, अथवा
- ख) स्वामी जी के शिष्य प्रशिष्यों से न्यूनतम प्रथमावृत्ति तक व्याकरण का अध्ययन, अथवा
- ग) स्वामी जी की परंपरा वाले गुरुकुलों में आचार्य की सन्निधि में, शिष्यरूप में न्यूनतम 2 वर्ष तक वास
2. सहयोगी सदस्य - न्यास की विचारधारा के प्रचार-प्रसार हेतु न्यास को आर्थिक सहयोग करने वाले दानी महानुभाव ।
- ये सहयोगी सदस्य निम्नलिखित नाम से जाने जायेंगे ---
- 1. पोषक-सदस्य (1 लाख रुपये)
- 2. पालक - सदस्य (2 लाख रुपये)
- 3. संरक्षक-सदस्य (5 लाख रुपये)
Note: शरीर से व समय का विशेष सहयोग देने वाले व्यक्तियों को भी अन्तरंग की स्वीकृति से सहयोगी सदस्य बनाया जा सकता है ।
- • इन सभी सदस्यों में वैदिक धर्म के प्रति निष्ठा व योगाभ्यास में रुचि होना आवश्यक है ।
- • सदस्यता स्वीकृति का निर्णय अन्तरंग में सर्वसम्मति या बहुमत से होगा ।
- • अन्तरंग न्यासी या सदस्य-न्यासी बनने के लिए आपको,आध्यात्मिक-सदस्य होना आवश्यक हैं।