स्मृतिशेष पूज्य स्वामी सत्यपति जी परिव्राजक की प्रेरणा से गठित वैदिक आध्यात्मिक न्यास, स्वामी जी की शिष्य प्रशिष्य परंपरा के 200 से अधिक वैदिक, दार्शनिक, आध्यात्मिक विद्वानों - विदुषियों एवं धार्मिक सज्जनों का संगठन है।
01. आर्ष / वैदिक योग का प्रचार करना । (लेखन, शिविरों आदि के माध्यम सेे)
02. आर्ष-पाठविधि के आचार्य / स्नातक तैयार करना ।
03. आर्ष-ग्रन्थों का स्पष्ट, सरल एवं वैदिक सिद्धान्तों के अनुकूल / अविरुद्ध भाष्य लिखना।
आध्यात्मिक सदस्य - ऐसे व्यक्ति जो स्वामी सत्यपति जी या उनके पढ़े हुओं से पढे हों ।
सहयोगी सदस्य - ‘वैदिक आध्यात्मिक न्यास’ के उद्देश्यों-कार्यों से सहमत ऐसे व्यक्ति जो इसे आर्थिक सहयोग प्रदान करेंगे ।
April 2018
वार्षिक वैदिक आध्यात्मिक न्यास - sixth - स्नेह सम्मेलन एवं संगोष्ठी
वानप्रस्थ साधक आश्रम, आर्यवन, रोजड़ गुजरात
02 to 04 Feb 2017
वार्षिक वैदिक आध्यात्मिक न्यास - षष्ठ - स्नेह सम्मेलन एवं संगोष्ठी
वानप्रस्थ साधक आश्रम, आर्यवन, रोजड़ गुजरात
11 to 14 Feb 2016
वार्षिक वैदिक आध्यात्मिक न्यास - चतुर्थ - स्नेह सम्मेलन एवं संगोष्ठी
वानप्रस्थ साधक आश्रम, आर्यवन, रोजड़ गुजरात
12 to 15 March 2015
वार्षिक वैदिक आध्यात्मिक न्यास - तृतीय - स्नेह सम्मेलन एवं संगोष्ठी
वानप्रस्थ साधक आश्रम, आर्यवन, रोजड़ गुजरात
7-8-9 Feb 2014
वार्षिक वैदिक आध्यात्मिक न्यास - द्धितीय - स्नेह सम्मेलन एवं संगोष्ठी
वानप्रस्थ साधक आश्रम, आर्यवन, रोजड़ गुजरात
स्वामी सत्यपति जी परिव्राजक की प्रारम्भ से इच्छा रही है कि समान विचार वाले आध्यात्मिक लोग अपनी-अपनी उन्नति के साथ-साथ परस्पर सहयोग-संगठन से चलते हुये एक दूसरे की वृद्धि करें, शुद्ध आध्यात्मिक ज्ञान का व्यापक प्रचार करें व समाज-संसार का अधिकाधिक कल्याण करे । इस दिशा में कार्य करने के लिये एक न्यास का गठन किया गया, जिसका मुख्य कार्यालय ऋषि उद्यान, अजमेर व उप कर्यालय वानप्रस्थ साधक आश्रम, रोजड़ में रखा गया।
ऐसे व्यक्ति जो स्वामी स्त्यपति जी या उनकी परम्परा से कम से कम दो वैदिक दर्शनों को पढे़ हों या इनकी सन्निधि में दो वर्षों तक शिष्य के रूप में रहे हों, वे न्यास के सदस्य हो सकते हैं। न्यास को आर्थिक-शारीरिक सहयोग देने वाले इसके सहयोगी सदस्य हो सकते हैं। वैदिक आध्यात्मिक न्यास के तत्त्वावधान में आयोजित वार्षिक स्नेह सम्मेलन एवं संगोष्ठी (द्वितीय) 7 से 9 फरवरी 2014 तक, वानप्रस्थ साधक आश्रम, रोजड़ में स्वामी सत्यपति जी की प्रेरणा एवं आशीर्वचनों के साथ हर्र्षाेल्लासपूर्वक सम्पन्न हुई।
लेखक - आचार्य सत्यजित आर्य जी
प्रभुकृपा से यह संसार गतिशील है। सब प्राणी गतिशील हैं, उनके लिये कर्म करते रहना आवश्यक है। कर्म से ही यह संसार-जीवन चल पाता है।
मुख्य कार्यालय:
वानप्रस्थ साधक आश्रम,
आर्यवन, रोजड़, पत्रा.-सागपुर,
त.-तलोद, साबरकांठा, गुजरात-383307. दूरभाष - 95028 63490, 8290896378.