स्मृतिस्मृतिशेष पूज्य स्वामी सत्यपति जी परिव्राजक की प्रेरणा से गठित वैदिक आध्यात्मिक न्यास, स्वामी जी की शिष्य प्रशिष्य परंपरा के 200 से अधिक वैदिक, दार्शनिक, आध्यात्मिक विद्वानों - विदुषियों एवं धार्मिक सज्जनों का संगठन है।
वैदिक आध्यात्मिक न्यास के माध्यम से नए विद्वान् व विदुषी तथा अध्ययनरत भावी विद्वान् व विदुषी, अनुभवी विद्वानों के संपर्क में आते हैं और परस्पर परिचय प्राप्त कर स्नेह, संवाद, सहयोग के द्वारा सुरक्षा व आत्मीयता की अनुभूति करते हैं।
पूज्य स्वामी सत्यपति जी परिव्राजक की प्रारम्भ से इच्छा रही है, उनकी ओर से यह निर्देश किया जाता रहा है कि समान विचार वाले आध्यात्मिक लोग अपनी-अपनी उन्नति-साधना के साथ-साथ परस्पर सहयोग-संगठन से चलते हुए एक दूसरे की वृद्धि भी करते रहें। परस्पर सहयोग से संगठित रहते हुए बल को प्राप्त हों, सुरक्षित रहें व समाज-संसार का अधिकाधिक कल्याण करें, शुद्ध आध्यात्मिक ज्ञान का जितना हो सके प्रचार करें ।
वर्षों से इस दिशा में योजनाबद्ध प्रगति की अपेक्षा की जाती रही। परस्पर परिचय-सहयोग-संगठन करते हुए सामूहिक रूप से बड़े स्तर पर यह कार्य हो सके, यह इच्छा प्रायः सभी के मन में रही है। इसी अपेक्षा - इच्छा की पूर्ति के लिए एक सामूहिक परिचय सम्मेलन 14-15 जनवरी 2012 को वानप्रस्थ साधक आश्रम रोजड़ में सम्पन्न हुआ ।
इस सम्मेलन में प्रतिभागियों के उत्साह व विचारों से आगे की योजना बनी। सात जनों की समिति बनाई गई। इसकी प्रथम बैठक २८ जून २०१२ को ऋषि उद्यान अजमेर में हुई, इसमें समिति के ६ सदस्य उपस्थित रहे। इस बैठक में निश्चय किया गया कि इस दिशा में कार्य करने के लिए एक न्यास का गठन किया जाएं। इस बैठक में कार्यालय का स्थान, पंजीकरण व बैंक का खाता, न्यास के उद्देश्यों, अधिकारियों, सदस्यों, नियमों आदि पर विचार-विमर्श किया गया ।
इस बैठक के निर्णयानुसार २६ सितम्बर २०१२ को उप-पंजीयक अजमेर के कार्यालय में पंजीकरण करा वैदिक आध्यात्मिक न्यास का गठन किया गया ।
वैदिक आध्यात्मिक न्यास का मुख्य कार्यालय वानप्रस्थ साधक आश्रम, आर्यवन, रोजड़, साबरकांठा, गुजरात में है। न्यास वर्ष 2013 से प्रतिवर्ष वार्षिक स्नेह सम्मेलन का आयोजन करता आ रहा है, जिसमें सदस्य परस्पर परिचय, न्यास के सदस्यों द्वारा दिये गये पूर्व निर्धारित आध्यात्मिक व शास्त्रीय विषय एवं सामाजिक समस्याओं पर प्रमाण तथा तर्क युक्ति पूर्वक चर्चाएँ, शंका समाधान, परस्पर व्यक्तिगत योजनाओं में सहयोग, सदस्यों की व्यक्तिगत समस्या आदि पर विचार कर समाधान करने का प्रयास किया जाता है ।