01. आर्ष / वैदिक योग का प्रचार करना । (लेखन, शिविरों आदि के माध्यम से)
02. आर्ष-पाठविधि के आचार्य/स्नातक तैयार करना ।
03. आर्ष-ग्रन्थों का स्पष्ट, सरल एवं वैदिक सिद्धान्तों के अनुकूल/अविरुद्ध भाष्य लिखना ।
04. आर्ष-गन्थों/भाष्यों का प्रकाशन एवं प्रचार करना ।
05. आर्ष-ग्रन्थों व भाष्यों का अध्यापन/अध्ययन करने वाले आचार्यों व छात्रों का यथायोग्य सहयोग करना ।
06. आर्ष-ग्रन्थों के स्रातकों के लिए कार्ययोजना बनाकर उन्हें कार्यक्षेत्र उपलब्ध कराना । (अध्यापन/लेखन/अनुसंधान/प्रचार आदि में ) ।
07. आर्ष-ग्रन्थों के अनुसंधान का कार्य चलाना ।
08. प्राकृतिक आपदाकाल में सेवा करना । (भोजन/वस्त्र/बचाव के रूप में )
09. धारणा-ध्यान-समाधि (अन्तरंग योग) में साधकों का प्रोत्साहन करना/प्रेरणा करना ।
10. वृद्ध-अशक्त-निर्धन-उपेक्षित आध्यात्मिक साधकों/आर्यसमाज के कार्य-कर्ताओं आदि के लिए साधना/चिकित्सा/निवास आदि की व्यवस्था करना ।
02. आर्ष-पाठविधि के आचार्य/स्नातक तैयार करना ।
03. आर्ष-ग्रन्थों का स्पष्ट, सरल एवं वैदिक सिद्धान्तों के अनुकूल/अविरुद्ध भाष्य लिखना ।
04. आर्ष-गन्थों/भाष्यों का प्रकाशन एवं प्रचार करना ।
05. आर्ष-ग्रन्थों व भाष्यों का अध्यापन/अध्ययन करने वाले आचार्यों व छात्रों का यथायोग्य सहयोग करना ।
06. आर्ष-ग्रन्थों के स्रातकों के लिए कार्ययोजना बनाकर उन्हें कार्यक्षेत्र उपलब्ध कराना । (अध्यापन/लेखन/अनुसंधान/प्रचार आदि में ) ।
07. आर्ष-ग्रन्थों के अनुसंधान का कार्य चलाना ।
08. प्राकृतिक आपदाकाल में सेवा करना । (भोजन/वस्त्र/बचाव के रूप में )
09. धारणा-ध्यान-समाधि (अन्तरंग योग) में साधकों का प्रोत्साहन करना/प्रेरणा करना ।
10. वृद्ध-अशक्त-निर्धन-उपेक्षित आध्यात्मिक साधकों/आर्यसमाज के कार्य-कर्ताओं आदि के लिए साधना/चिकित्सा/निवास आदि की व्यवस्था करना ।